नारायण सेवा संस्थान का ३९ वां दिव्यांग सामूहिक विवाह “जल ही जीवन” के संदेश साथ सम्पन्न

0

102 परिवारों की शहनाई का सपना साकार करने वाला अनूठा विवाह

उदयपुर (राजस्थान):  नारायण सेवा संस्थान के तत्वावधान में सेवा महातीर्थ, बड़ी में दो दिवसीय 39 वां निःशुल्क निर्धन एवं दिव्यांग सामूहिक विवाह समारोह 102 परिवारों को चिंता मुक्त करते हुए  51 जोड़ो की गृहस्थी बसाने के साथ संपन्न हुआ। इन सभी जोड़ों ने हिंदू रीति रिवाज से पवित्र अग्नि के फेरे लेकर एक -दूसरे का जीवन पर्यन्त साथ निभाने का संकल्प लिया। 

संस्थान अध्यक्ष प्रशांत अग्रवाल ने बताया कि पहले दिन हल्दी, मेहंदी और महिला संगीत सहित कन्यादानी सज्जनों का सम्मान समारोह धूमधाम से आयोजित हुआ। वहीं दूसरे दिन

प्रातः सजे-धजे दूल्हों ने परंपरागत तोरण की रस्म का निर्वाह किया। विवाह के लिए बने विशाल पाण्डाल में 51 वेदियों पर मुख्य आचार्य ने वैदिक ऋचाओं के बीच 51 जोड़ों को सात फेरे और वचन  दिलाए। इससे पूर्व  वरमाला की रस्म प्रज्ञाचक्षु करोली के केसरी नन्दन व हाथ से दिव्यांग झारखंड की उर्मिला, लसाड़िया के  प्रज्ञाचक्षु प्रेमचंद मीणा व 3 साल की उम्र में दोनों पांवों से पोलियो की शिकार सुरजा मीणा, महेंद्र कुमार व कलावती आमलिया(दोनों जन्मान्ध) और भरतपुर के सत्येंद्र व झारखंड सुनिता ( दोनों दिव्यांग) के साथ निदेशक वन्दना अग्रवाल द्वारा आरम्भ हुई। इस दौरान पाण्डाल  में देशभर के 1000 अतिथियों सहित लन्दन,यूएसए से पधारे समाजसेवी उपस्थित थे।

संस्थान संस्थापक पद्मश्री कैलाश  ‘मानव’ ने कन्यादान के इस अनुष्ठान में सहयोगियों व नवयुगलों को आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि देव दुर्लभ मानव जीवन हमें भागवतकृपा से जो भी उपलब्ध है, उसका उपभोग समाज के पीड़ित और वंचित वर्ग के लिए कर  जीवन को सार्थक करें। 

संस्थान अध्यक्ष प्रशान्त अग्रवाल ने अतिथियों व वर-वधुओं का स्वागत करते हुए कहा पिछले 21 वर्षों में संस्थान द्वारा 2201 निर्धन व दिव्यांग जोड़ों की सुखद गृहस्थी बसाने में सहायक बना है। इस विवाह में जो जोड़ें परिणय सूत्र में बंध रहे हैं, उनमे राजस्थान, बिहार, झारखंड़, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, व गुजरात शामिल हैं।

इस विवाह की खास बात यह रही कि वरमाला की रस्म के बाद दुल्हा दुल्हनें भव्य विवाह मंडप में पहुंचे तब कोई व्हीलचेयर पर तो कोई वैशाखी और कैलिपर्स के सहारे अपने लिये निर्धारित वेदी पर पहुंचे। इन जोड़ों में कुछ  जोड़े तो कुछ वर-वधु ऐसे थे जिनका नारायण सेवा संस्थान में निःशुल्क ऑपरेशन हुआ या संस्थान के नारायण आत्मनिर्भर केंद्र में सिलाई, मोबाईल, कम्प्यूटर प्रशिक्षण प्राप्त किया था। इस बार सामूहिक विवाह का ध्येय वाक्य ‘जल ही जीवन’ के अनुसार नवयुगलों को सात फेरों के बाद ‘पानी बचाने’ का संकल्प भी दिलाया गया। सभी नव दम्पतियों को संस्थान व अतिथियों के द्वारा उपहार प्रदान किये गए। संस्थान ने प्रत्येक जोड़े को सभी वस्तएं प्रदान की, जो एक नई गृहस्थी के लिए आवश्यक होती है। संस्थान के साधकों ने इन दुलहनों के परिजन बनकर नम आंखों से डोली उठाकर साजन के घर विदा किया।

About The Author

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed